Double Dacker Bus: प्रयागराज को महाकुंभ से पहले मिलीं दो इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसें अब शहर की सड़कों पर नहीं दौड़ेंगी. ढाई महीने तक धूप में खड़ी रहने के बाद इन बसों को लखनऊ भेजने का निर्णय लिया गया है. कारण – शहर में ऐसा कोई रूट नहीं मिला जहां ये ऊंची बसें बिना रुकावट के चलाई जा सकें.
ऊंचाई बनी सबसे बड़ी बाधा
परिवहन विभाग ने इन बसों के लिए कई संभावित रूट जैसे एयरपोर्ट रोड, फाफामऊ और सिविल लाइंस पर सर्वे किया. लेकिन बिजली के तार, पेड़ों की शाखाएं और पुलों की सीमित ऊंचाई ने योजना पर ब्रेक लगा दिया. फाफामऊ से सिविल लाइंस तक एकमात्र रास्ता मिला जहां कोई ऊपरी अवरोध नहीं था, लेकिन दूरी बहुत कम होने से वहां भी योजना फेल हो गई.
क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताई तकनीकी दिक्कत
प्रादेशिक प्रबंधक रविंद्र कुमार के अनुसार, “शहर के कई रूटों का सर्वे किया गया, लेकिन बस की ऊंचाई के चलते कोई उपयुक्त मार्ग नहीं मिला. अब इन्हें लखनऊ भेजने का निर्णय लिया गया है, जहां इनके संचालन की व्यवस्था होगी.”
जनता की प्रतिक्रिया
प्रयागराज के नागरिकों ने इस योजना पर तंज कसना शुरू कर दिया है.
सिविल लाइंस के दुकानदार रमेश गुप्ता ने कहा, “बसें आईं जरूर, पर रास्ता भूल गईं. अब लखनऊ में शान बनेंगी, हम तो ऑटो में ही खुश हैं.”
फाफामऊ की छात्रा प्रिया सिंह ने कहा, “हम सोच रहे थे लंदन वाली फील मिलेगी, लेकिन बसें तो चली ही नहीं. कम से कम एक राउंड तो लगवाते.”
पहले क्यों नहीं हुआ गहन सर्वे?
पर्यावरण कार्यकर्ता अनिल शर्मा ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रिक बसें पर्यावरण के लिए बेहतरीन हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे बसें मंगाना और फिर शिफ्ट करना संसाधनों की बर्बादी है. क्या पहले सर्वे नहीं किया जा सकता था?”
अब लखनऊ में दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसें
इंद्रप्रस्थ की गलियों में लंदन जैसी बसों का सपना देखने वाले प्रयागराज वासियों को निराशा हाथ लगी है. ये दोनों बसें अब लखनऊ की सड़कों पर दौड़ेंगी, जहां उनका इस्तेमाल पर्यटक और सार्वजनिक परिवहन के लिए किया जाएगा.